Friday, 2 September 2011

87. दिल में दर्द है जो ना जुबां से कहेंगे


दिल में दर्द है जो ना जुबां से कहेंगे,
ना तुम कह सके,ना हम कह सकेंगे.


बात क्या है दिल में क्यों दबाये हुए हो,
कहते क्यों नहीं,या नहीं कहने की कसम खाये हुए हो.


तोड़ दो कसमों को ,खोल दो अपनी जुबान,
अब तो तुम्हारा जवाब सुनने को तैयार हैं मेरे कान.


किसी को ना बताएँगे राज ये दिल का,
दर्द की दास्ताँ सुनकर भी चुप रहेंगे.


दिल में दर्द है जो ना जुबां से कहेंगे,
ना तुम कह सके ,ना हम कह सकेंगे.


कैसे भुला दूं तेरी यादों को दिल से,
तुम तो रूठकर भी प्यार जताती हो .


दिन में दर्शन नहीं होते तो क्या हुआ ,
रात-भर सपनों में आती हो.


चाहकर भी भुला ना पाएंगे तेरे प्यार को ,
मरते दम तक तेरी जुदाई की सहेंगे.


दिल में है दर्द जो ना जुबां से कहेंगे,
ना तुम कह सके ,ना हम कह सकेंगे.


वो दिन ना भूल पाएंगे कभी,
जिस दिन तुमने हमसे प्यार किया .


वो दिन भी सदा याद रहेगा,
जब तुमने बेवफाई का व्यवहार किया.


बेवफाई करने से पहले ये क्यों नहीं सोचा ,
हम तुम बिन जिन्दा ना रह सकेंगे.


दिल में है दर्द जो ना जुबां से कहेंगे,
ना तुम कह सके ,ना हम कह सकेंगे...





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