ना प्यार करना गुनाह है,
ना प्यार करने में कुछ बुराई है .
प्यार में जियेंगे,प्यार में मरेंगे,
दुनिया कहती आई है.
ना हिन्दू,ना मुस्लिम,ना सिख,
ना कोई इसाई कहलाता है.
प्यार जो करता है इन्सान से,
इंसानियत का पाठ पढ़ाता है.
फिर वह ना भगवान को ,ना खुदा को,
ना रब को ,ना गोड को पाना चाहता है.
प्यार जो पाना चाहता है,
वह मानव-धर्म को अपनाता है.
प्यार के लिए हीर-राँझा,लैला-मजनू,
श्री-फारिहाद,सोहनी-महिवाल जैसे,
ना जाने कितनों ने मौत गले लगाई है.
कोई कुछ भी कहे ना कहे,
ना प्यार करना कोई गुनाह है,
ना प्यार करने में कुछ बुराई है.
प्यार में जियेंगे,प्यार में मरेंगे,
दुनिया कहती आई है.
इस पवित्र बंधन को जो भी समझ जाता है,
फिर मरते दम तक इसको निभाता है.
मिल जाता है जिसको प्यार इस दुनिया में,
फिर वह कुछ नहीं पाना चाहता है.
क्या कीमत है इसकी,किसी की समझ में ना आई है,
कुछ नहीं मिला उसको,जिसने भी बोली लगाई है.
ना प्यार करना कोई गुनाह है,
ना प्यार करने में कुछ बुराई है.
प्यार में जियेंगे,प्यार में मरेंगे,
दुनिया कहती आई है.
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