मुझको क्या मालूम रहता है कौन कहाँ,
जग में ढूंढकर देख लो शक है जहाँ-जहाँ.
कैसे बता सकता हूँ मैं किसी के बारे में,
मुझे कोई बता के थोड़े ही जाता है,
जाने वाला ये कब कहता है.
कोई आये तो भेज देना,और पता थमा जाता है.
मुझको क्या मालूम कहता है कौन क्या,
खुद जाकर सुन लो ,उसका है गर पता.
जो कभी हमारे अपने होते थे,
ना जाने क्यों वो बेगाने हो गए.
रहते थे हरपल संग हमारे कभी.
ना जाने किसके यहाँ रवाना हो गए.
मुझको क्या मालूम अब रहने लगा कहाँ,
जग में ढूंढकर देख लो शक है जहाँ-जहाँ.
जब तक काम ना चलता था,
संग रहा करते थे सदा अपने ,
कोई नहीं कहता था अपना उनको,
वो कहते थे आते हैं ,रोज तेरे सपने.
अब तो रस्ते में मिलने पर भी ,
नहीं पूछते ढंग है क्या.
मुझको क्या मालूम कहता है वो अब क्या.
ना जाने हररोज कितने ही,ज़माने में,
ऐसे बेवफा मिलते हैं.
कुछ अपनों से तो कुछ परायों से ,
खफा-खफा मिलते हैं.
किस-किस का इलाज करता है कौन कहाँ,
मुझको क्या मालूम कहता है कौन क्या....
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