Thursday, 1 September 2011

71. तन्हा ही जिन्दगी गुजार लूं


तुझे देखकर ऐसा लगता है,
तेरे संग जीने से तो अच्छा है ,
तन्हा ही जिन्दगी गुजार लूं.


तेरे नखरों को उठा न पाऊंगा
जिन्दगी में तुझे लाने से तो अच्छा है,
तन्हाई को ही पुकार लूं.


तेरा प्यार बड़ा महंगा है,खरीद नहीं पाऊंगा,
तेरे प्यार को पाने से तो अच्छा है,
किसी से थोड़ा प्यार उधार लूं.


मैंने सोचा था ,तू मेरी चाहत को समझ जाएगी,
मगर तूने एक नज़र ही नहीं डाली,
तेरी एक नज़र चुराने से तो अच्छा है,
किसी अंधे की चश्मा उतार लूं.


तू समझ न पाएगी मेरे अरमानों को ,
ये जिन्दगी तुझे समझाने में गुजार जाएगी.
जिन्दगी-भर तेरे नखरों को उठाने से तो अच्छा है,
अपने अरमानों को ही डकार लूं.


तेरी आँखों पर अमीरी का चश्मा चढ़ा है,
इनसे प्यार दिखाई नहीं देता,
प्यार से बड़ा धन नहीं होता,
तुझे ये समझाने से तो अच्छा है,
अपने आप को ही संवार लूं.



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