मेरे दिल में प्यार जगाया तूने,
निभा ना सकोगी ,ये क्यों नहीं बताया तूने.
अब हरपल निगाहें तुम्हे ढूंढती रहती हैं,
लेकिन कभी मुड़कर चेहरा ना दिखाया तूने.
तुम्हे पाने हसरत पूरी भी ना हुई थी कि
किस्मत ने वार कर दिया.
जब उम्मीद जगी संग तुम्हारे जीने की,
फिर कौन था जिसने इंकार कर दिया.
जवाब ना देकर स्पष्ट शब्दों में,
इंतजार में बड़ा सताया तूने.
मेरे दिल में प्यार जगाया तूने,
निभा ना सकोगी,ये क्यों नहीं बताया तूने.
दिल में दर्द जगाकर तूने,
मेरे दिल को बड़ा दुखाया है.
जिस नस में पहले से ही दर्द था ,
तूने उसी नस को दबाया है .
खुशियाँ छीन ली जिन्दगी-भर की,
दिल में गम-ए-तन्हाई बसाया है तूने.
मेरे दिल में प्यार जगाया तूने,
निभा ना सकोगी,ये क्यों नहीं बताया तूने.
तुम इतनी भी नादान ना थी,
जो कुछ भी ना समझती हो.
दिल कि एक बात ना कह सकी,
दिन-भर कितना-कुछ तो कहती हो.
चुप्पी तोड़कर हाल-ए-दिल ,
क्यों नहीं फ़रमाया तूने.
मेरे दिल में प्यार जगाया तूने,
निभा ना सकोगी,ये क्यों नहीं बताया तूने..
No comments:
Post a Comment