Thursday, 1 September 2011

61. अ! दोस्त तेरे दर्शन दुश्वार हो गए


दिन कटे तो कैसे तुम बिन रात कटे,
अ! दोस्त तेरे दर्शन दुश्वार हो गए.


तुम बिन सांसों को ताजगी नहीं मिली,
तन्हाई में यार हम बीमार हो गए.


जीने में कोई मज़ा नहीं रहा तुम बिन,
मरकर भी जाएँ तो कहाँ तुम बिन.


पंख कटे पंछी की तरह अब तो ,
हम तुम बिन बेकार हो गए.


दिन कटे तो कैसे तुम बिन,रात कटे,
अ! दोस्त तेरे दर्शन दुश्वार हो गए.


मेरे हंसमुख चेहरे की मुस्कान गई,
तुम बिन समझो मेरी जान गई.


पीछे अब बाकी ही क्या रह गया,
एक तेरे जाने से मेरी आन-बान-शान गई.


कौन सुनेगा किसको सुनाये,तुम बिन,
बेगाने अपने सारे यार हो गए.


दिन कटे तो कैसे,तुम बिन रात कटे,
अ! दोस्त तेरे दर्शन दुश्वार हो गए .


दिल का दर्द दिखाएँ भी तो कैसे,
सीना चीरकर दिखाना पड़ेगा.


गम-ए-तन्हाई बताएं भी तो कैसे,
पास तुमको ही आना पड़ेगा.


जब तक तुम नहीं आओगे,
मुझे ये कैसे समझाओगे.


तुम बिन कैसे हम जी पायेंगे,
तन्हा एक पल में ही मरने को तैयार हो गए.


तुम बिन सांसो को ताजगी नहीं मिली,
तन्हाई में यार हम बीमार हो गए.

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