Thursday, 1 September 2011

60. हर शाम के बाद एक नया सवेरा होगा


 हर शाम के बाद एक नया सवेरा होगा ,
मगर सोचो ना वो तेरा होगा ,ना वो मेरा होगा,


जग में जन्मे हैं तो जाना भी पड़ेगा,
जन्म-जन्मान्तर का ना डेरा होगा .


क्या लेकर आये थे जिसके लिए,
जन-जन से वैर बांधे बैठे हैं.


जब प्यार से सब कुछ हल हो सकता है ,
तो क्यों किसी से बेकार में ऐंठे हैं.


अगर प्यार है तो हर मौसम बहार है ,
बिन प्यार के कहीं ना रैन बसेरा होगा.


हर शाम के बाद एक नया सवेरा होगा,
मगर सोचो ना वो तेरा होगा ,ना वो मेरा होगा.


प्यार को प्यार से ही समझ पाओगे ,
कब तक दूसरों पर दाग लगाओगे .


दूसरों को जलाओगे ,
खुद बचकर कहाँ जाओगे .


पश्चाताप की आग में ,
खुद भी जल जाओगे.


सब समझ जाओगे उस दिन ,
जब प्यार पे ना कोई पहरा होगा .


हर शाम के बाद एक नया सवेरा होगा,
मगर सोचो ना वो तेरा होगा ,ना वो मेरा होगा .


प्यार से जो जिन्दगी को जीते हैं ,
वो मौत को भी मात देते हैं.


दुश्मनों को भी वो रात-दिन ,
प्यार की सौगात देते हैं.


प्यार का प्रकाश है पास जिनके ,
उनके जीवन में ना कभी अँधेरा होगा.


हर शाम के बाद एक नया सवेरा होगा ,
मगर सोचो ना वो तेरा होगा ,ना वो मेरा होगा.




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