ना जाने कब वो रात होगी ,
उनसे एक हँसीं मुलाक़ात होगी .
वैसे तो दिन के बाद रात होती है ,
मगर उस रात की अलग ही बात होगी .
जब भी सोचने बैठते हैं ,ऐसा लगता है ,
वर्षों से कोई काम पड़ा है अधूरा,
उसके बिना तो हम भी अधूरे हैं ,
फिर कैसे होगा कोई काम पूरा .
उनका संग होगा,जीवन में एक नया रंग होगा ,
हरपल कोई ना कोई नई बात होगी .
ना जाने कब वो रात होगी ,
उनसे एक हँसीं मुलाक़ात होगी .
ना होगा समय का बंधन ,
ना किसी का कोई भय होगा .
तन से सता हुआ तन होगा ,
मन भी मधुरमय होगा .
स्वर्ग -सा हर एक नज़ारा होगा ,
जब हमारी सुहागरात होगी .
वैसे तो हर दिन के बाद रात होती है ,
मगर उस रात की अलग ही बात होगी .
ना बदन पे कोई पर्दा होगा ,
ना मन में कोई मैल होगी .
सब कुछ नया नज़र आएगा ,
एक नए जीवन की पहल होगी .
गुम हो जायेंगे सभी गम ,
खुशियों से भरी बरसात होगी .
ना जाने कब वो रात होगी ,
उनसे एक हँसीं मुलाक़ात होगी ...
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