Thursday, 1 September 2011

58. जब कोई दर्द-ए- दिल बतलाता है


जब कोई दर्द-- दिल बतलाता है ,
तो लगता है मेरा अपना हाल सुनाता है .


सुनकर दास्ताँ दर्द-ए-दिल की,
जवानी का वो दौर याद आ जाता है .


वो हमसे कितना प्यार करते हैं ,
जो हमारी खातिर हर जुल्म सहते हैं .


हमसे जुदा करने को उनका गला काटा जाये ,
तो भी दर्द सहते हैं,मगर कुछ नहीं कहते हैं .


हमारा प्यार पाने की खातिर ,
उनको हर दर्द में चैन आता है .


जब कोई दर्द-ए-दिल बतलाता है ,
तो लगता है मेरा अपना हाल सुनाता है .


वो जानते हैं कि मुझ संग बिताये प्यार के 
पलों की याद में जिन्दगी कट जाएगी .


जब भी कठिन घडी आएगी ,तेरे प्यार की याद में 
सारी मुसीबत छंट जाएगी .


जब-जब भी कोई दर्द मिलता है .
तेरे प्यार को याद करने से टल जाता है .


जब कोई दर्द-ए-दिल बतलाता है ,
तो लगता है मेरा अपना हाल सुनाता है .


सुनकर दास्ताँ दर्द-ए-दिल की ,
जवानी का वो दौर याद आ जाता है .




No comments:

Post a Comment