Thursday, 1 September 2011

57. कौन हूँ मैं .


देखने वालो मेरे दिल में झांक कर देख लो ,
कौन हूँ मैं .


खुद समझ नहीं पा रहा,क्या हूँ ,क्या बनूँगा ,
इसीलिए मौन हूँ मैं .


बाहर से क्या लगता हूँ ,अन्दर से क्या हूँ ,
जान लो तुम .


दिल से दिल का रिश्ता जोड़ने से पहले ,
अच्छी तरह पहचान लो तुम .


कहीं धोखे में न आ जाना बागड़ी समझकर ,
पड़ोसियों की नज़रों में डोन हूँ मैं .


देखने वालो मेरे दिल में झांक कर देख लो ,
कौन हूँ मैं .


कोई समझता है पंछी मुझको और चाहता है ,
खरीदकर पिंजरे में कैद कर लूं .


कोई देखता है नौकरी को और कहता है ,
बिन देखे पसंद कर लूं .


कोई चाहता है इतना कि खुद को भूल जाता है ,
कौन हूँ मैं .


देखने वालों मेरे दिल में झांक कर देख लो ,
कौन हूँ मैं .


मेरे चाहने वालों कि फरियाद पूरी 
कर दे भगवान.


 प्यार करने वालों का हो ही जाता है मिलन ,
जानते है इसको सब इंसान .


इंसानों की बस्ती में रहने वाला बताओ ना,
कौन हूँ मैं.


खुद समझ नहीं पा रहा,क्या हूँ ,क्या बनूँगा ,
इसीलिए मौन हूँ मैं .




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