Thursday, 1 September 2011

56.सबसे न्यारी हो तुम


हुस्न की भीड़ में सबसे न्यारी हो तुम ,
औरों को चाहे अभी कली नज़र आती हो ,
लेकिन मेरे लिए फूलों की क्यारी हो तुम .


सामने नज़रों के मेरी आने से तेरे ,
मेरे दिल की धडकनें रुक जाती हैं.


तेरा दिल क्या कहता है कह दो ना,
तेरी नज़रें शर्म से क्यों झुक जाती हैं .


तुम कुछ कह ना सको तो सुन लो ,
मेरी नज़रों में सबसे प्यारी हो तुम .


औरों को चाहे अभी कली नज़र आती हो ,
लेकिन मेरे लिए फूलों की क्यारी हो तुम .


किसी की नज़र है तेरे हुस्न पर ,
तो कोई तेरे जिस्म को निचोड़ लेना चाहता है ,


मेरे दिल में बसी हो तुम ,मेरे दिल के चमन से .
कोई तुझे फूल समझ तोड़ लेना चाहता है .


मेरे दिल की तड़फ को समझो ,
और कह दो सिर्फ मेरी हो तुम .


औरों को चाहे अभी कली नज़र आती हो ,
लेकिन मेरे लिए फूलों की क्यारी हो तुम .


कब तक रखोगी इस हुस्न को ,
कपडों के कैद खाने में .


सलामत नहीं रह पाओगी तन्हा ,
बिन सहारे जालिम ज़माने में .


आ जाओ मेरे दिल को संभालने के लिए ,
कब से कह रहा हूँ मेरी राज-दुलारी हो तुम .


औरों को चाहे अभी कली नज़र आती हो ,
लेकिन मेरे लिए फूलों कि क्यारी हो तुम .
हुस्न की भीड़ में सबसे न्यारी हो तुम ....



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