Thursday, 1 September 2011

54.मैं पागल हूँ तेरे पीछे


मैं पागल हूँ तेरे पीछे ,
दुनिया पागल है मेरे पीछे .


तुझमें  क्या खूबी है मालूम नहीं ,
मगर मुझ पे मरते हैं अच्छे -अच्छे .


तुझे ये खबर भी नहीं है ,
मैं तुझे कितना चाहता हूँ.


लोग करते हैं याद मुझे हरपल,
मगर मैं हूँ कि तुझे भूल नहीं पाता हूँ .


कैसे समां पाएंगे वो मेरे दिल में .
लहराते हैं मेरी आँखों के सामने तो ,
तेरी जुल्फों के मोटे मोटे लच्छे .


मैं पागल हूँ तेरे पीछे ,
दुनिया पागल है मेरे पीछे .


मेरी जिन्दगी में कोई और कैसे आये ,
मेरे दिल में तो तू ही रहती है .


चाहत है तेरे दिल में भी मुझे पाने की .
फिर न जाने क्यों तू चुप रहती है .


दिल में है जो कह दो ,
शर्म से नज़र न कर  नीचे .


मैं पागल हूँ तेरे पीछे ,
दुनिया पागल है मेरे पीछे .


मैं रह नहीं पाऊंगा बिन तेरे,
तू भी तो मेरे बिन मर जाएगी.


शर्म कर कर के मैं चुप रह जाऊँगा ,
तू भी कुछ नहीं कह पाएगी.


तेरे बिन मैं मेरे बिन तू नहीं रह पायेगी ,
बसा लो अपनी जुल्फों के नीचे ,


मैं पागल हूँ तेरे पीछे ,
दुनिया पागल है मेरे पीछे ...




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