Thursday, 1 September 2011

53.आँखों के रास्ते जो


आँखों के रास्ते जो दिल में समाता है ,
फिर मरते दम तक उसे 
अपनी जिन्दगी से नहीं निकाल पाता है .


जो दिल मोहब्बत की भाषा समझ जाता है ,
फिर कुछ भी दिखाई नहीं देता उसे ,
सिर्फ मोहब्बत को ही पहचान  पाता है .


दिल से दिल जो एक बार मिल जाये तो ,
फिर वो दोस्ती टूट नहीं सकती कभी ,
चाहे जमीं- आसमां हिल जाएँ .


दूर चले जाएँ चाहे कितनी ही,
वर्षों तक भी न मिल पायें ,
फिर भी दिल उसे पास बुलाना चाहता है .


चाहे दुश्मन जमाना सारा बन जाये ,
मोहब्बत करने वालों का कुछ नहीं बिगाड़ पाता है ,
मोहब्बत से सबको अपनी तरफ मोड़ लाता है .


मोहब्बत के दीवानों को दिल से लगाता है ,
जिसको ये प्रेम-रोग लग जाता है ,
फिर लड़ना तो दूर दुश्मनों को भी लगे से लगाता है.


जो भी नहाता है प्रेम-सागर में ,
जीते जी तैर नहीं पाता है,
डूबकर ही पार जाता है .


आँखों के रास्ते जो दिल में समाता है,
फिर मरते दम तक  उसे ,
अपनी जिन्दगी से नहीं निकाल पाता है ...



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