Thursday, 1 September 2011

49. तेरा सपना कैसे लूं


रात को नींद नहीं आती ,
तेरा सपना कैसे लूं .


जमाना दुश्मन बन गया है अपना ,
तुझे अपना कैसे लूं.


की नज़रों में अब हमें ,
अलग-अलग ही रहना होगा.


सबसे नज़रें चुराकर न मिल पायें जिस दिन,
उस दिन दर्द-ए-तन्हाई भी सहना होगा .


सबको लगते हैं हम ऐसे ,
गर्मी में लगती हैं जैसे लू .


रात को नींद नहीं आती ,
तेरा सपना कैसे लूं .


हमें पास-पास देखकर ,
दुश्मन जमाना जलता है.


फिर भी हम मिल जाते हैं ,
किसी का कोई जोर नहीं चलता है .


दिल करता है हरपल मिलने को ,
मगर तुझे बाँहों में कैसे लूं .


रात को नींद नहीं आती ,
तेरा सपना कैसे लूं.


दुश्मन ज़माने से दूर कहीं ,
बसेरा अपना बसाना होगा .


जब भी मेरा दिल पुकारे तुझे ,
बिना कुछ सोचे आना होगा .


मेरी समझ में नहीं आता ,
पास तुझे अपने बुला कैसे लूं .


रात को नींद नहीं आती ,
तेरा सपना कैसे लूं.




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