Thursday, 1 September 2011

48. मेरी मोहब्बत को दफनाकर


मेरी मोहब्बत को दफनाकर ,
क्या मिला बेवफा तुझको .


खुद करके बेवफा मत बता ,
चीज क्या है वफ़ा मुझको .


दिन क्या खूबी नज़र आई थी ,
जो मुझे देखते ही मुस्कराई थी .


फिर दौड़ कर मेरी बाँहों में आई थी ,
कभी न जुदा होने कि कसमें खाई थी .


क्या भूल गई उन कसमे-वादों को ,
या भूल गई है मुझको .


मेरी मोहब्बत को दफना कर ,
क्या मिला बेवफा तुझको .


मुझे क्या मालूम था ,
मोहब्बत क्या बला है .
तुमने मुझे ये दिल का 
रोग लगा दिया .


मुझको फंसाकर मोहब्बत के जाल में ,
क्यों तुमने दगा दिया .


खुद हँसकर गुजार रही हो जिन्दगी ,
 बेमौत मर दिया है मुझको .


मेरी मोहब्बत को दफनाकर ,
क्या मिला बेवफा तुझको .


कब्र पर आकर मेरी ,
अब आंसूं क्यों बहा रही है .


तेरे आंसूओं में भी मुझे ,
बेवफाई की बू आ रही है.


जान लेकर भी चैन नहीं आया ,
जो अब भी सता रही है मुझको,


मेरी मोहब्बत को दफनाकर ,
क्या मिला बेवफा तुझको .....



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