Thursday, 1 September 2011

46. बड़ा दर्द होता है सीने में यार के


मत सता यों कुटिल निगाह मार के ,
बड़ा दर्द होता है सीने में यार के .


पास से निकलती हो जब,
जुल्फों को यों लहराकर ,


दिल कहता है हाय ! मैं मर जाऊं ,
दर्द से यों कहाराकर .


चैन आ जाये दिल को ,
अगर थोडा सा प्यार दे.


मत सता यों कुटिल निगाह मार के ,
बड़ा दर्द होता है सीने में यार के.


जब एक नज़र देखकर ,
पलकें झुका लेती हो.


एक नज़र और कब देखोगी ,
इसी इंतजार में तड़फा  देती हो.


जिन्दगी कट जाएगी शायद,
सहारे तेरे इंतजार के .


मत सता यों कुटिल निगाह मार के ,
बड़ा दर्द होता है सीने में यार के .


कभी नज़रें झुकाना ,
उठा के फिर मिलाना ,


बताओ ना ये कैसे है इशारे.
प्यार के इज़हार के ,
इकरार के या इंकार के .


मत सता यों कुटिल निगाह मार के ,
बड़ा दर्द होता है सीने में यार के.


इस तरह निगाह मार मार के ,
दिन-भर कितनों को सताती हो ,


किसी एक को चुनकर ,
उसे अपना क्यों नहीं बनाती हो .


किसी कि जान चली जाएगी ,
इस वहम में तेरे प्यार के .


मत सता यों कुटिल निगाह मार के ,
बड़ा दर्द होता है सीने में यार के ...



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