मत सता यों कुटिल निगाह मार के ,
बड़ा दर्द होता है सीने में यार के .
पास से निकलती हो जब,
जुल्फों को यों लहराकर ,
दिल कहता है हाय ! मैं मर जाऊं ,
दर्द से यों कहाराकर .
चैन आ जाये दिल को ,
अगर थोडा सा प्यार दे.
मत सता यों कुटिल निगाह मार के ,
बड़ा दर्द होता है सीने में यार के.
जब एक नज़र देखकर ,
पलकें झुका लेती हो.
एक नज़र और कब देखोगी ,
इसी इंतजार में तड़फा देती हो.
जिन्दगी कट जाएगी शायद,
सहारे तेरे इंतजार के .
मत सता यों कुटिल निगाह मार के ,
बड़ा दर्द होता है सीने में यार के .
कभी नज़रें झुकाना ,
उठा के फिर मिलाना ,
बताओ ना ये कैसे है इशारे.
प्यार के इज़हार के ,
इकरार के या इंकार के .
मत सता यों कुटिल निगाह मार के ,
बड़ा दर्द होता है सीने में यार के.
इस तरह निगाह मार मार के ,
दिन-भर कितनों को सताती हो ,
किसी एक को चुनकर ,
उसे अपना क्यों नहीं बनाती हो .
किसी कि जान चली जाएगी ,
इस वहम में तेरे प्यार के .
मत सता यों कुटिल निगाह मार के ,
बड़ा दर्द होता है सीने में यार के ...
No comments:
Post a Comment