Thursday, 1 September 2011

45. मेरा क्या कसूर है


मैंने तो तुम से प्यार किया है ,
इसमें मेरा क्या कसूर  है .


बेवफाई तो तुमने की है ,
मेरा दिल तो इस दाग से दूर है .


पहले तुमने ही हाथ मिलाया था ,
जिन्दगी-भर प्यार निभाने का .


अब कहती हो मुझे कोई हक नहीं ,
तुझे इस कदर चाहने का,


मैं तुझे कोई गम नहीं देना चाहता ,
क्योंकि मेरा दिल मजबूर है.


मैंने तो तुम से प्यार किया है ,
इसमें मेरा क्या कसूर है .


मुझे इतना विश्वास था तुम पर ,
कि जान भी मेरे नाम कर दोगी ,


ये सपने में भी नहीं सोचा था ,
एक दिन इस तरह बदनाम कर दोगी.


तुमने मेरे विश्वास का खून किया है ,
मेरा दिल इस गम में चूर है.


मैंने तो तुम से प्यार किया है ,
इसमें मेरा क्या कसूर है .


याद करो उस पल को ,
जब दिल से तुमने मुझे चाह था .


मेरे साथ किये हर वादे को ,
दिलो-जान से तुमने निभाया था.


तेरे निभाए हर वादे के लिए ही ,
तू ज़माने में मशहूर है .


मैंने तो तुम से प्यार किया है ,
इसमें मेरा क्या कसूर है ....


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