Friday 12 August 2011

5. साथी तेरी जरुरत है


गाँव के मंदिर में जो भगवान कि मूरत हैं 
मुझे उनकी  नहीं साथी तेरी जरुरत है .


कितनी ही प्यारी लड़कियां हैं
 कितनी कमसिन  उनकी अदा हैं.
कितनी ही मुझ पे जान छिड़कती हैं ,
कितनी ही मुझ पे फ़िदा हैं .


लेकिन मेरी नज़रों में तू ही खूबसूरत है ,
मुझे उनकी नहीं साथी तेरी जरुरत है .


कोई मेरे बिन दिन को करार ,रात को चैन नहीं पाती है ,
तो कोई मुझे दिलो-जान से चाहती है .


हर एक के दिल में मेरी ही चाहत है ,
मुझे उनकी नहीं साथी तेरी जरुरत है .


कोई सोने पे सुहागा है ,
कोई सुन्दरता और गुणों का भंडार है.
मै उनके बारे में कैसे सोच सकता हूँ 
मुझे तो तुम्ही से प्यार है .


तू ही मेरा मंदिर है ,
तू ही मेरे भगवान की मूरत है . 
मुझे उनकी नहीं साथी तेरी जरुरत है ......

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