Friday 12 August 2011

4. तुम चाहे जिस कद्र देखो


इधर देखो उधर देखो जी चाहे जिधर देखो ,
मै तो हुस्न की खुदी खुदाई मूरत हूँ 
तुम चाहे जिस कद्र  देखो .
कुछ कम नहीं होगा हुस्न मेरा देखने से ,
तुम चाहे हजार बार देखो ,चाहे एक नज़र देखो 
मुझे पसंद हैं इशारे तुम्हारी नज़रों के ,
तुम चाहे जितने तीर नज़रों के मेरी तरफ फेंकों .
ये हुस्न मेरा कसूर नहीं खुदा का नूर है ,
तुम हर रोज इससे अपनी नज़र  सेकों .
मै तो खुश होती ही हूँ तुम्हारे देखने से 
तुम भी खुश होगे हरपल अगर मुझे देखो .
मेरे दिल पर नज़रों के  वार  करो ,
तुम चाहे जितना मुझे प्यार करो ,
तुम चाहे जिस कद्र  देखो ,
मगर एक नज़र देखो .
ये हुस्न का जादू है चाहे एक पहर देखो ,
देखने की चीज है सुबह.शाम या दोपहर देखो .
इधर देखो उधर देखो जी चाहे जिधर देखो 
मै तो हुस्न की खुदी खुदाई मूरत हूँ 
तुम चाहे जिस कद्र  देखो ..........

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