इधर देखो उधर देखो जी चाहे जिधर देखो ,
मै तो हुस्न की खुदी खुदाई मूरत हूँ
तुम चाहे जिस कद्र देखो .
कुछ कम नहीं होगा हुस्न मेरा देखने से ,
तुम चाहे हजार बार देखो ,चाहे एक नज़र देखो
मुझे पसंद हैं इशारे तुम्हारी नज़रों के ,
तुम चाहे जितने तीर नज़रों के मेरी तरफ फेंकों .
ये हुस्न मेरा कसूर नहीं खुदा का नूर है ,
तुम हर रोज इससे अपनी नज़र सेकों .
मै तो खुश होती ही हूँ तुम्हारे देखने से
तुम भी खुश होगे हरपल अगर मुझे देखो .
मेरे दिल पर नज़रों के वार करो ,
तुम चाहे जितना मुझे प्यार करो ,
तुम चाहे जिस कद्र देखो ,
मगर एक नज़र देखो .
ये हुस्न का जादू है चाहे एक पहर देखो ,
देखने की चीज है सुबह.शाम या दोपहर देखो .
इधर देखो उधर देखो जी चाहे जिधर देखो
मै तो हुस्न की खुदी खुदाई मूरत हूँ
तुम चाहे जिस कद्र देखो ..........
No comments:
Post a Comment