Saturday 20 August 2011

31.कोई कातिल नहीं मिला


मेरे दिल का क़त्ल किया गया है ,
किसको दिलाएं सजा ,कोई कातिल नहीं मिला .


मेरे इस टूटे दिल को दूं भी तो किसको ? 
कोई भी इसके काबिल नहीं मिला .


मेरे दिल के इस पौधे को सींचा है ,
जब से उसने बेवफाई के जहर से .


खिला नहीं एक भी फूल प्यार का ,
सुखाया है उसने जब से अपने कहर से .


कितनी कोमलता थी इसमें ,
छूने मात्र से टहनी टूट जाती थी .


साँसें जो जुडती थी इससे ,
सम्बन्ध अटूट बना जाती थी .


अब इस टूटे दिल को अपना ले जो ,
कोई ऐसा हमदर्द नहीं मिला .


मेरे दिल का क़त्ल किया गया है .
किसको दिलाएं सजा, कोई कातिल नहीं मिला .


उसने करके बेवफाई मेरी 
मोहब्बत का दिया है ये सिला .


मेरे इस टूटे दिल को दूं भी तो किसको ,
कोई इसके काबिल नहीं मिला.


मेरे दिल का क़त्ल किया गया है ,
किसको दिलाएं सजा कोई कातिल नहीं मिला .

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