मेरे दिल का क़त्ल किया गया है ,
किसको दिलाएं सजा ,कोई कातिल नहीं मिला .
मेरे इस टूटे दिल को दूं भी तो किसको ?
कोई भी इसके काबिल नहीं मिला .
मेरे दिल के इस पौधे को सींचा है ,
जब से उसने बेवफाई के जहर से .
खिला नहीं एक भी फूल प्यार का ,
सुखाया है उसने जब से अपने कहर से .
कितनी कोमलता थी इसमें ,
छूने मात्र से टहनी टूट जाती थी .
साँसें जो जुडती थी इससे ,
सम्बन्ध अटूट बना जाती थी .
अब इस टूटे दिल को अपना ले जो ,
कोई ऐसा हमदर्द नहीं मिला .
मेरे दिल का क़त्ल किया गया है .
किसको दिलाएं सजा, कोई कातिल नहीं मिला .
उसने करके बेवफाई मेरी
मोहब्बत का दिया है ये सिला .
मेरे इस टूटे दिल को दूं भी तो किसको ,
कोई इसके काबिल नहीं मिला.
मेरे दिल का क़त्ल किया गया है ,
किसको दिलाएं सजा कोई कातिल नहीं मिला .
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