Sunday 21 August 2011

39. इश्क तो ऐसा खेल है जिसमे


                इश्क  तो ऐसा खेल है जिसमे ,
कदम कदम पे फाउल  हो जाये .

ध्यान से न खेलो तो ,
पल में प्यार की बाल खो जाये .

जिसको आता ये खेल खेलना ,
उसके लगते दाम नहीं .

घबराता है ज़माने के डर से जो ,
उसका इस खेल में कोई काम नहीं .

वो तो खेल के नियम ,
सुनकर ही बेहोश हो जाये ,

इश्क तो ऐसा खेल है जिसमे ,
कदम कदम पे फाउल हो जाये .

इस खेल के खिलाडी को ,
हर कोई पाना चाहता है ,

इश्क में प्यार की गेंद को ,
बड़ी किस्मत वाला ही पता है.

अगर इतना ही आसान हो ये खेल ,
तो हर कोई इसका खिलाड़ी हो जाये .

इश्क तो ऐसा खेल है जिसमे ,
कदम कदम पे फाउल हो जाये .

बड़े से बड़ा खिलाड़ी भी ,
हारने पर मजबूर हो जाये .

रिस्क  इतना बड़ा है इसमें ,
चंद दिनों में दुनिया से दूर हो जाये .

खेलता है इसे वही जो जानता है ,
अंजाम अब चाहे कुछ हो जाये .

इश्क तो ऐसा खेल है जिसमे ,
कदम कदम पे फाउल हो जाये . 


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