इश्क तो ऐसा खेल है जिसमे ,
कदम कदम पे फाउल हो जाये .
ध्यान से न खेलो तो ,
पल में प्यार की बाल खो जाये .
जिसको आता ये खेल खेलना ,
उसके लगते दाम नहीं .
घबराता है ज़माने के डर से जो ,
उसका इस खेल में कोई काम नहीं .
वो तो खेल के नियम ,
सुनकर ही बेहोश हो जाये ,
इश्क तो ऐसा खेल है जिसमे ,
कदम कदम पे फाउल हो जाये .
इस खेल के खिलाडी को ,
हर कोई पाना चाहता है ,
इश्क में प्यार की गेंद को ,
बड़ी किस्मत वाला ही पता है.
अगर इतना ही आसान हो ये खेल ,
तो हर कोई इसका खिलाड़ी हो जाये .
इश्क तो ऐसा खेल है जिसमे ,
कदम कदम पे फाउल हो जाये .
बड़े से बड़ा खिलाड़ी भी ,
हारने पर मजबूर हो जाये .
रिस्क इतना बड़ा है इसमें ,
चंद दिनों में दुनिया से दूर हो जाये .
खेलता है इसे वही जो जानता है ,
अंजाम अब चाहे कुछ हो जाये .
इश्क तो ऐसा खेल है जिसमे ,
कदम कदम पे फाउल हो जाये .
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