Sunday 21 August 2011

42. धोखेबाज़ लुगाई तै


धोखेबाज़ लुगाई तै,
 ना यारी करिए  माणस,

चून तेरा या काढ लेगी ,
बना कै रख देगी छानस .

भाई-भाईयाँ  कै बीच  म ,
 दुश्मनी का बीज बो देगी ,

मनसां  म बैठन जोगा नहीं छोड़ेगी ,
या तीन जहान त खो देगी .

 कितना भी चाहे या हेज़ दिखाव ,
इसनै ना कभी अपणा कहिये माणस .

धोखेबाज़ लुगाई त ,
ना यारी करिए माणस .

चून तेरा काढ लेगी ,
बना कै रख देगी छानस .

भला किसी का कदे नहीं चाहा ,
ना भलाई का कोई काम करा स .

जड़े भी मौका मिला ,खूटे ठोके ,
भले त भला माणस बदनाम करा स .

कितनी भी दे  या मिट्ठी गोली ,
कदे इसके बहकावे म ना आइये माणस ,

धोखेबाज़ लुगाई त ,
ना यारी करिए माणस .

चून तेरा या काढ लेगी ,
बना कै  रख देगी छानस .

बिगरोड़ी का बेरा ना ,
कितना न और बिगाड्गी.

कितने घर बर्बाद किये ,
कितना न और उजाडगी,

जीना चाहे त बच के रहिये ,
जड़कर भी ना जाइए .

मिट्ठी बोलन आली क ,
ना चक्कर में पड़िये माणस ,

धोखेबाज़ लुगाई त,
ना यारी करिए माणस ,

चून तेरा या काढ लेगी, 
बना क रख देगी छानस .


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