दिल कहीं लगता नहीं ,
अब क्या सुने और क्या कहें .
नींद भी आती नहीं ,
अब क्या जागें और क्या सोयें .
कोई अपना रहा ही नहीं ,
कैसे होंगे पूरे अरमान .
किसको रखें अब इस दिल में ,
बनाके अपना मेहमान .
सुख-चैन पायें कहाँ ,जाएँ तो जाएँ कहाँ ,
तन्हाई में रहें तो कैसे रहें .
दिल कहीं लगता नहीं,
अब क्या सुने और क्या कहें .
वो छोड़कर चले गए हमें ,
गुस्से में यों तनकर.
हम सह गए तन्हाई ,
उनके प्यार में उल्लू बनकर .
प्यार में तो सब ठीक है ,
मगर बेवफाई के दाग को कैसे सहें .
दिल कहीं लगता नहीं ,
अब क्या सुने और क्या कहें .
उनके संग रहकर गुजरे हैं ,
जो पल सुख -चैन के .
तंग करते हैं अब मुझे,
वो पल दिन के रैन के .
कब तक अपने ही ,
आंसूओं में हम बहें .
दिल कहीं लगता नहीं ,
अब क्या सुने और क्या कहें .
नींद भी आती नहीं ,
अब क्या जागें और क्या सोयें ....
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