Saturday 20 August 2011

29. गहरी चोट खाई है


तुझको कैसे भुला दूं ,
तू तो मेरी जिन्दगी में ठोकर बनकर आई है .

जीते जी जख्म नहीं भरेगा ,
तुझसे ऐसी गहरी चोट खाई है .

तूने प्यार नहीं किया ,
प्यार के नाम पर खेल खेला है .

क्या तूने कभी ये भी सोचा है ,
तेरे इस खेल में मैंने कितना दुःख झेला है .

तूने मेरे गम में खुशियाँ मनाई हैं.
तू तो मेरी जिन्दगी में ठोकर बनकर आई है .

कोई दवा क्या काम आएगी ,
जब तेरी दुआ  ही मेरे साथ नहीं .

लोग कहते हैं ,क्यों उदास है ,
जब कुछ भी हुआ तेरे साथ नहीं.

उनको कैसे पता चलता ,
जब दिल टूटा तो आवाज़ ही नहीं आई .

तुझको कैसे भुला दूं ,
तू तो मेरी जिन्दगी में ठोकर बनकर आई है .

कैसे देखूं सपना किसी और का अब ,
पिछली कई रातों से जब नींद ही नहीं आई है ,

मरने के कगार पे पंहुच चूका हूँ ,
रोटी तक भी नहीं खाई है .

तुझको कैसे भुला दूं ,
तू तो मेरी जिन्दगी में ठोकर बनकर आई है 

जीते जी जख्म नहीं भरेगा ,
तुझसे ऐसी गहरी चोट खाई है .

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