तुझको कैसे भुला दूं ,
तू तो मेरी जिन्दगी में ठोकर बनकर आई है .
जीते जी जख्म नहीं भरेगा ,
तुझसे ऐसी गहरी चोट खाई है .
तूने प्यार नहीं किया ,
प्यार के नाम पर खेल खेला है .
क्या तूने कभी ये भी सोचा है ,
तेरे इस खेल में मैंने कितना दुःख झेला है .
तूने मेरे गम में खुशियाँ मनाई हैं.
तू तो मेरी जिन्दगी में ठोकर बनकर आई है .
कोई दवा क्या काम आएगी ,
जब तेरी दुआ ही मेरे साथ नहीं .
लोग कहते हैं ,क्यों उदास है ,
जब कुछ भी हुआ तेरे साथ नहीं.
उनको कैसे पता चलता ,
जब दिल टूटा तो आवाज़ ही नहीं आई .
तुझको कैसे भुला दूं ,
तू तो मेरी जिन्दगी में ठोकर बनकर आई है .
कैसे देखूं सपना किसी और का अब ,
पिछली कई रातों से जब नींद ही नहीं आई है ,
मरने के कगार पे पंहुच चूका हूँ ,
रोटी तक भी नहीं खाई है .
तुझको कैसे भुला दूं ,
तू तो मेरी जिन्दगी में ठोकर बनकर आई है
जीते जी जख्म नहीं भरेगा ,
तुझसे ऐसी गहरी चोट खाई है .
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