Friday 19 August 2011

7. जो जिन्दगी में कभी



जिसने खाया कभी पकोड़ा नहीं,
लड्डू जलेबी को मगर छोड़ा नहीं.
मीठे का है लाड़ा  वह  ,
नून मिर्च का कीड़ा नहीं .

जो जिन्दगी में कभी दौड़ा नहीं .
वो आलसी गधा है ,
तेज़ रेस का घोडा नहीं .

जिसने मुह दुश्मन का तोडा नहीं ,
जिसने सर किसी का फोड़ा नहीं .
वो मर्द कायर डरपोक थोडा नहीं.

जिसने हाथ पकड़ के कभी छोड़ा नहीं,
वडा करके मुंह कभी मोड़ा नहीं.
वो सच्चा है दीवाना भगोड़ा नहीं.

जो ज़माने के डर से डर गए ,
खुद को मौत के हवाले कर गए ,
ज़माने को अपनी तरफ मोड़ा  नहीं 
वो सच्चे प्रेमियों का जोड़ा नहीं .

कानून को जिसने कभी तोडा नहीं ,
वो सच्चा है इंसान ,
गुंडा,बदमाश ,निगोड़ा नहीं.
 
जिसने खाया कभी थोडा नहीं ,
रस्ते का जो रोड़ा नहीं ,
पहलवान है वो  पक्का ,
लोहार का हथोडा नहीं........

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