मेरे दिल जो मारा झटका ,
तुने मुंह क्यों दिया लटका .
निकला जो कांटा मेरे दिल से ,
तेरे दिल में जाके क्यों खटका .
अगर तुम्हे मुझ से प्यार है ,
मेरे भी दिल में आई प्यार की बहार है .
फिर क्यों दिल में आई एल यू है अटका ,
तुने मुंह क्यों दिया लटका .
अगर तुम मेरे पास आना चाहती हो ,
मेरे दिल की प्यास बुझाना चाहती हो .
अपने होठों को बना लो मटका ,
तुने मुंह क्यों दिया लटका .
अगर तेरा दिल मिलने को बेक़रार है ,
मिलन की खातिर तन भी तैयार है .
फिर लगा दो प्यार का चटका ,
तुने मुंह क्यों दिया लटका .
मेरे दिल से निकला हाय ,
तेरे दिल में क्यों न समाये .
साड़ी दुनिया को बना के नकटा ,
तुने मुंह क्यों दिया लटका .....
No comments:
Post a Comment