Friday 19 August 2011

10. तुने मुंह क्यों दिया लटका


मेरे दिल जो मारा झटका ,
तुने मुंह क्यों दिया लटका .

निकला जो कांटा मेरे दिल से ,
तेरे दिल में जाके क्यों खटका .

अगर तुम्हे मुझ से प्यार है ,
मेरे भी दिल में आई प्यार की बहार है .

फिर क्यों दिल में आई एल यू है अटका ,
तुने मुंह क्यों दिया लटका .

अगर तुम मेरे पास आना चाहती हो ,
मेरे दिल की प्यास बुझाना चाहती हो .

अपने होठों को बना लो मटका ,
तुने मुंह क्यों दिया लटका .

अगर तेरा दिल मिलने को  बेक़रार  है ,
मिलन की खातिर तन भी तैयार है .

फिर लगा दो प्यार का चटका ,
तुने मुंह क्यों दिया लटका .

मेरे दिल से निकला हाय ,
तेरे दिल में क्यों न समाये .

साड़ी दुनिया को बना के नकटा ,
तुने मुंह क्यों दिया लटका .....

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