तुने मुंह क्यों दिया लटका .
तेरे दिल में जाके क्यों खटका .
मेरे भी दिल में आई प्यार की बहार है .
तुने मुंह क्यों दिया लटका .
मेरे दिल की प्यास बुझाना चाहती हो .
तुने मुंह क्यों दिया लटका .
मिलन की खातिर तन भी तैयार है .
तुने मुंह क्यों दिया लटका .
तेरे दिल में क्यों न समाये .
तुने मुंह क्यों दिया लटका .....
No comments:
Post a Comment