Sunday 21 August 2011

43.नौकरी है मिल गई,


                  नौकरी है मिल गई,
 छोकरी  का चला रखा है चक्कर .


झोंपड़ी भी बना लेंगे ,
जब आयेंगे सीमेंट,बजरी ,कंकर .


रुपये-पैसे की किल्लत नहीं होगी ,
साथी भी होगा प्यारा-प्यारा .


आराम से गुजरेंगे जिन्दगी,
ऊपर होगा अपना अलग चौबारा .


ना किसी से बैर रखेंगे ,
ना लगायेंगे किसी से टक्कर .


नौकरी है मिल गई ,
छोकरी का चला रखा है चक्कर.


चाहत है जिसकी वर्षों से ,
अगर छोकरी वह पट जाएगी .


ना कमी रहेगी किसी चीज की ,
ऐशो -आराम से जिन्दगी कट जाएगी.


क्या मिल जाएगी वह या 
उसके बिना मर जायेंगे पैर पटक कर .
 

नौकरी है मिल गई ,
छोकरी का चला रखा है चक्कर .


आने लगे हैं अब सपने उसके ,
रात भर रह रह कर .


कितने दिन और काटने पड़ेंगे ,
जुदाई उसकी सह सह कर .


छान मरे उसके लिए ,
ना जाने कितने गाँव -शहर .


नौकरी है मिल गई ,
छोकरी का चला रखा है चक्कर .


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