नौकरी है मिल गई,
छोकरी का चला रखा है चक्कर .
झोंपड़ी भी बना लेंगे ,
जब आयेंगे सीमेंट,बजरी ,कंकर .
रुपये-पैसे की किल्लत नहीं होगी ,
साथी भी होगा प्यारा-प्यारा .
आराम से गुजरेंगे जिन्दगी,
ऊपर होगा अपना अलग चौबारा .
ना किसी से बैर रखेंगे ,
ना लगायेंगे किसी से टक्कर .
नौकरी है मिल गई ,
छोकरी का चला रखा है चक्कर.
चाहत है जिसकी वर्षों से ,
अगर छोकरी वह पट जाएगी .
ना कमी रहेगी किसी चीज की ,
ऐशो -आराम से जिन्दगी कट जाएगी.
क्या मिल जाएगी वह या
उसके बिना मर जायेंगे पैर पटक कर .
नौकरी है मिल गई ,
छोकरी का चला रखा है चक्कर .
आने लगे हैं अब सपने उसके ,
रात भर रह रह कर .
कितने दिन और काटने पड़ेंगे ,
जुदाई उसकी सह सह कर .
छान मरे उसके लिए ,
ना जाने कितने गाँव -शहर .
नौकरी है मिल गई ,
छोकरी का चला रखा है चक्कर .
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