Friday 19 August 2011

12. उसका चाँद चुराकर लाया हूँ.

             आसमान को बहकाकर आया हूँ ,
उसका चाँद चुराकर लाया हूँ.


तारों की ले गया था बारात ,
उनको वही छोड़ कर आया हूँ .


दिनकर कि नज़र न लग जाए ,
दिन में चाँद को छुपाकर आया हूँ .


चोरों की तरह रात को जाकर ,
रात को ही वापस आया हूँ .


वो चाँद जो कल तक आसमान का था ,
वो आज मेरा अपना है ,


उसके  संग गुजारनी है जिन्दगी ,
दिल में उसी का सपना है .


उसके बगैर अब तक ,
बड़ी मुस्किल से जी पाया हूँ .


आसमान को बहका कर आया हूँ ,
                         उसका चाँद चुराकर लाया हूँ ..... 
                                                   

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