आसमान को बहकाकर आया हूँ ,
उसका चाँद चुराकर लाया हूँ.
तारों की ले गया था बारात ,
उनको वही छोड़ कर आया हूँ .
दिनकर कि नज़र न लग जाए ,
दिन में चाँद को छुपाकर आया हूँ .
चोरों की तरह रात को जाकर ,
रात को ही वापस आया हूँ .
वो चाँद जो कल तक आसमान का था ,
वो आज मेरा अपना है ,
उसके संग गुजारनी है जिन्दगी ,
दिल में उसी का सपना है .
उसके बगैर अब तक ,
बड़ी मुस्किल से जी पाया हूँ .
आसमान को बहका कर आया हूँ ,
उसका चाँद चुराकर लाया हूँ .....
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