Saturday 20 August 2011

28. दम कुछ मुझमें खास नहीं


तन और मन है और किसी का ,
धन अब मेरे पास नहीं .

दिल में धड़क नहीं ,तन भी कड़क नहीं ,
दम कुछ मुझमें  खास नहीं ,

किसी ने धोखा दिया है मन को ,
किसी ने लूटा है इस तन को .

कौन था अपना कौन पराया ,
मुझको ये अहसास नहीं .

तन और मन है और किसी का ,
धन अब मेरे पास नहीं .

दिल में धड़क नहीं ,तन भी कड़क नहीं  ,
दम कुछ मुझमे खास नहीं .

सब कुछ खो दिया है मैंने ,
उसको अब पाना क्या .

किसी के मिलने की आस नहीं ,
मन को अब समझाना  क्या .

हलवा कहाँ से आएगा ,
खाने को अब घास नहीं .

तन और मन है और किसी का ,
धन अब मेरे पास नहीं ,

दिल में धड़क नहीं ,तन भी कड़क नहीं ,
दम कुछ मुझमे खास नहीं .

रातों की नींद उड़ गई ,
सपना किसी का आता नहीं .

हम किसको अपना कहें ,
किसी से अपना कोई नाता नहीं .

तन्हा ही जी लेंगे अब हम ,
हमें आता कोई रास नहीं .

तन और मन है और किसी का,
धन अब मेरे पास नहीं .

दिल में धड़क नहीं ,तन भी कड़क नहीं ,
दम कुछ मुझमे खास नहीं .

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