तन और मन है और किसी का ,
धन अब मेरे पास नहीं .
दिल में धड़क नहीं ,तन भी कड़क नहीं ,
दम कुछ मुझमें खास नहीं ,
किसी ने धोखा दिया है मन को ,
किसी ने लूटा है इस तन को .
कौन था अपना कौन पराया ,
मुझको ये अहसास नहीं .
तन और मन है और किसी का ,
धन अब मेरे पास नहीं .
दिल में धड़क नहीं ,तन भी कड़क नहीं ,
दम कुछ मुझमे खास नहीं .
सब कुछ खो दिया है मैंने ,
उसको अब पाना क्या .
किसी के मिलने की आस नहीं ,
मन को अब समझाना क्या .
हलवा कहाँ से आएगा ,
खाने को अब घास नहीं .
तन और मन है और किसी का ,
धन अब मेरे पास नहीं ,
दिल में धड़क नहीं ,तन भी कड़क नहीं ,
दम कुछ मुझमे खास नहीं .
रातों की नींद उड़ गई ,
सपना किसी का आता नहीं .
हम किसको अपना कहें ,
किसी से अपना कोई नाता नहीं .
तन्हा ही जी लेंगे अब हम ,
हमें आता कोई रास नहीं .
तन और मन है और किसी का,
धन अब मेरे पास नहीं .
दिल में धड़क नहीं ,तन भी कड़क नहीं ,
दम कुछ मुझमे खास नहीं .
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