तुमसे बिछुड़े हुए दो दिन हुए नहीं ,
ऐसा लगता है जैसे वर्षों बीत गए .
दोनों हारे हैं प्यार के इस खेल में ,
और बेकार का घमंड है कि जीत गए .
जिन्दगी -भर साथ रहने के
इरादों को छोड़ दिया .
कभी न रूठने के वादों को ,
पल में ही तोड़ दिया .
ऊपर से खुश दिखाई देते हैं तो क्या ,
अंदर से पूरी तरह टूट चुके हैं .
तूने ऐसा इल्जाम लगाया है दोस्ती के नाम पर ,
उम्र-भर के लिए रूठ चुके हैं .
अब उन पलों को याद करके जी लेंगे ,
जो तेरे प्यार में बीत गए .
तुमसे बिछुड़े हुए दो दिन हुए नहीं ,
ऐसा लगता है जैसे वर्षों बीत गए .
हमने तो वादों को निभाने की सोची थी ,
हमारी आखरी सांस तक .
चंद दिनों का खेल समझकर ,
तुम वादों की डोरी खींच गए .
दोनों हारे हैं प्यार के इस खेल में ,
और बेकार का घमंड है कि जीत गए.
तुमसे बिछुड़े हुए दो दिन हुए नहीं ,
ऐसा लगता है जैसे वर्षों बीत गए ...
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