Saturday 20 August 2011

34. तुमसे बिछुड़े हुए

           तुमसे बिछुड़े हुए दो दिन हुए नहीं ,
ऐसा लगता है जैसे वर्षों बीत गए .


दोनों हारे हैं प्यार के इस खेल में ,
और बेकार का घमंड  है कि जीत गए .


जिन्दगी -भर साथ रहने के 
इरादों को छोड़ दिया .


कभी न रूठने के वादों को ,
पल में ही तोड़ दिया .


ऊपर से खुश दिखाई देते हैं तो क्या ,
अंदर से पूरी तरह टूट चुके हैं .


तूने ऐसा इल्जाम लगाया है दोस्ती के नाम पर  ,
उम्र-भर के लिए रूठ चुके हैं .


अब उन पलों को याद करके जी लेंगे ,
जो तेरे प्यार में बीत गए .


तुमसे  बिछुड़े हुए दो दिन हुए नहीं  ,
ऐसा लगता है जैसे  वर्षों बीत गए .


हमने तो वादों को निभाने की सोची थी ,
हमारी आखरी सांस तक .


चंद दिनों का खेल समझकर ,
तुम वादों की डोरी खींच गए .


दोनों हारे हैं प्यार के इस खेल में ,
और बेकार का घमंड है कि जीत गए.


तुमसे बिछुड़े हुए दो दिन हुए नहीं ,
ऐसा लगता है जैसे वर्षों बीत गए ... 


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