Sunday 21 August 2011

41. बस पीछे प्यार रह जायेगा.

कोई हमारी जान लेने के लिए जिन्दा है ,
कोई हमारे लिए मरने के लिए तैयार है .


कोई चाहता है जिन्दगी-भर की दुश्मनी निभाना ,
कोई मरकर भी कहेगा कि तुझसे ही प्यार है .


ये दुनिया बड़ी अजीब है ,
यहाँ कोई जानी दुश्मन है तो कोई यार है .


कोई हमारा चेहरा देखना भी पसंद नहीं करता ,
तो कोई हररोज मिलने को बेक़रार है .


लेकिन एक दिन ऐसा भी आएगा ,
दुश्मन को भी हमसे प्यार हो जायेगा .


फिर आएगी हमें उस यार कि याद ,
जो कभी वो हमसे कोसों दूर हो जायेगा.

ना आएगा फिर सामने कभी ,
बस याद उसका प्यार रह जायेगा.


हम कुछ ना कह पाएंगे उससे ,
सब कुछ वही कह जायेगा.


ना होगी कभी मुलाक़ात उससे,
वो अब सपना बनकर रह जायेगा.


कैसा अजीब दुनिया का ये व्यवहार है.
किसी से दुश्मनी तो किसी से प्यार है ,


किसी के लिए जन्नत है ये दुनिया ,
तो किसी के लिए बेकार है.


कोई चाहता है यहाँ बार-बार आना,
तो छुटकारे के अभी से तैयार है.


साथ किसी के कुछ नहीं जायेगा .
बस पीछे प्यार रह जायेगा.
दुश्मनी का वार ना जाने कहाँ जायेगा.


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