Saturday, 12 July 2025

217. प्यार की नोक झोक

 जान  दे  न बाहर 

  हो री  स वार पड़े ना पार 

बतलावन की ।

आजा ना यार कर ले बात दो चार 

के तावल स जावन की ।

काटना स न्यार भूखी है भैंस बाहर

जाना पड़ेगा यार

टेम ना ठेग लावण की 

इब पड़े ना घाम रोज बरस स राम

लाग  री झड़ी सावन की ।

खुले चरन  दे ढोर क्यों भरे स खोर

के कमी स खुले मे हरा खावन  की ।

एक तो हो री स वार कर लूँ थोड़ा श्रृंगार

इब तावल  स जावन  की ।

घणी ए सुथरी स गौरी, ले री रूप की  तु बोरी

के जरूरत स तने नहावन की ।।

सारी बाता न जाणू सू।

तेरी नीत न पिछाणु सू।

के जरूरत स तने समझवाण की।।

ना दिल पर मारे तू  चोट,

मेरे मन म ना स कोई खोट।

ना सोचे था दिल लावण की।।

के धरा  स इन बाता म

झूठे रिस्ते नाता म।

ना करे कोशिश नजर मिलावण की।।

कर ले नीत कमा क खावन की।।





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