छोरी मैं हो गई ,
सोलह के पार र।
हर कोई बनना चाहवै ,
मेरा यार र।
पलकों का पर्दा उठा जो,
नज़रों से मार दूंगी।
लाखों हैं चाहने वाले ,
किस-किस को प्यार दूंगी।
जो भी देखै मुझको ,
चढ़ जाता प्यार का बुखार र।
छोरी मैं हो गई ,
सोलह के पार र।
हर कोई बनना चाहवै ,
मेरा यार र।
गालों की लाली मेरी ,
सबको ललचाती है।
पतली कमर मेरी,
सौ-सौ बल खाती है।
मस्तानी चाल मेरी ,
लूट ले संसार र।
छोरी मैं हो गई ,
सोलह के पार र।
हर कोई बनना चाहवै ,
मेरा यार र।
जवानी पे अब मेरा ,
कोई जोर नहीं चलता।
लूट ना ले अस्मत मेरी ,
कोई जलता-बलता।
दुनिया बसाऊंगी मैं ,
संग तेरे यार र।
छोरी मैं हो गई ,
सोलह के पार र।
हर कोई बनना चाहवै ,
मेरा यार र।
दिल में बसा ले मुझको ,
तेरा घर मैं बसाऊंगी।
दुनिया में जान से ज्यादा ,
तुझको मैं चाहूंगी।
मैं तो हो गई जाल्ला ,
तेरे प्यार में बीमार र।
छोरी मैं हो गई ,
सोलह के पार र।
हर कोई बनना चाहवै ,
मेरा यार र।
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