लो मैं आ गई संग तेरे ,
अपना घर छोड़ के।
घर वालों से अपने ,
सारे रिश्ते -नाते तोड़ के।
अब जी भर के जवानी के मेरी ,
जलवे देख ले।
करके हुस्न का दीदार ,
अपनी आँखें सेंक ले।
जिंदगी को जी ले अपनी मौज से,
मुझसे जिंदगी-भर का रिश्ता जोड़ के।
लो आ गई मैं संग तेरे ,
अपना घर छोड़ के।
बाँहों में भर के मुझको ,
पूरे सारे सपने कर ले।
बंधन ना किसी का कोई ,
दुनिया-भर की खशियों को अपना कर ले।
अब ना दूंगी मौका कहने का ,
कि चल दी मुँह मोड़ के।
लो मैं आ गई संग तेरे ,
अपना घर छोड़ के।
दूरियाँ मिटा दो तन की ,
मन का मैल धो ले।
बन के मेघा बरस जा ,
प्यार का बीज बो ले।
क्या बन गई गले की फांस अब ,
जो खड़ा हो गया हाथ जोड़ के।
लो मैं आ गई संग तेरे ,
अपना घर छोड़ के।
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